बस यही कुछ दो -चार चाहतें हैं मेरी
बेतुकी सी है सारी ,पर दिल के पास है मेरी !!
तेरी बचकानी सी एक जिद होकर ,तेरा प्यार पाने की
तेरी बाहों में लिपट कर , तुझपे ही मर जाने की !!
यही कुछ बेतुकी सी चाहतें हैं मेरी
तेरी नशीली आँखों का नमकीन पानी बनकर ,
नम पलकों पर तेरे ठहर जाने की !!!
सुर्ख गालों से उतारते हुए,
तेरे भींगे होठों पे मुस्कुराने की
यही कुछ बेतुकी सी चाहतें हैं मेरी
तेरे कंगन सा तेरी कलाई में ठहर तुझे चूम जाऊं,
ओढ़नी सा तेरे माथे पर सज तेरी हया बन जाने की !!
बनकर एक प्रेमगीत , तेरे लबों पर थिरकते हुए ,
सिरहाने तेरे सुकून का तकिया बन जाने की
यही कुछ बेतुकी सी चाहतें हैं मेरी,
दो- चार हैं पर दिल के पास हैं मेरी !!